संसद की सुरक्षा में चूक : नीलम आजाद और महेश कुमावत की जमानत पर फैसला सुरक्षित

नई दिल्ली, 20 मई (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने संसद की सुरक्षा में चूक मामले में नीलम आजाद और महेश कुमावत की जमानत याचिका पर बुधवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की अध्यक्षता वाली बेंच ने इसके बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि संसद में अनधिकृत रुप से प्रवेश करना क्या यूएपीए के तहत आता है। कोर्ट ने कहा कि निःसंदेह संसद में प्रवेश मजाक नहीं है लेकिन इससे आरोपितों के खिलाफ यूएपीए कैसे लगाया जा सकता है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा से पूछा कि क्या संसद के अंदर धुएं का कनस्तर लेकर जाना यूएपीए के तहत आ सकता है। कोर्ट ने कहा कि दूसरे कानूनी प्रावधान भी हैं, जो लगाये जा सकते थे लेकिन दिल्ली पुलिस ने यूएपीए लगाया है, ऐसे में कोर्ट को सारी चीजों पर ध्यान देना होगा। इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है।

सुनवाई के दौरान चेतन शर्मा ने कहा कि ये घटना 2001 के संसद पर हमले की बरसी के दिन घटी है। तब कोर्ट ने पूछा कि धुएं का कनस्तर सुरक्षा जांच और मेटल डिटेक्टर से गुजरा होगा। मतलब कि उसमें मेटल नहीं था। ये एक सामान्य कनस्तर था जैसे कि होली और आईपीएल मैच के दौरान होता है, ये कहीं से भी हानिकारक नहीं था। तब चेतन शर्मा ने कहा कि सांसदों का बयान था कि वे डर गए थे। इस घटना को बड़े परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए न कि केवल सांकेतिक तौर पर।

नीलम आजाद और महेश कुमावत ने ट्रायल कोर्ट की ओर से जमानत याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती दी है। पटियाला हाउस कोर्ट ने 13 सितंबर 2024 को नीलम आजाद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने 24 दिसंबर, 2024 और 28 अप्रैल को इस मामले के एक और आरोपित मनोरंजन डी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने 22 नवंबर, 2024 को सह आरोपित महेश कुमावत की जमानत याचिका खारिज की थी।

दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि आरोपित संसद भवन को निशाना बनाकर लोकतंत्र को बदनाम करना चाहते थे। चार्जशीट में कहा गया है कि संसद पर हमले के लिए आरोपित दो साल से योजना बना रहे थे। करीब एक हजार पेज की चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि आरोपित एक-दूसरे से सोशल मीडिया पर मिले थे। आरोपितों ने मैसूर, गुरुग्राम और दिल्ली में कुल पांच बैठकें की थी। उनकी पहली मुलाकात फरवरी 2022 में मैसूर में हुई थी। दिल्ली पुलिस की इस चार्जशीट पर कोर्ट ने 3 अगस्त को संज्ञान लिया था।

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