बृंदा ग्रोवर ने आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले में पीड़िता के परिवार का कानूनी प्रतिनिधित्व छोड़ दिया।

कोलकाता, 12 दिसंबर (हि.स.)।
आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की एक महिला चिकित्सक के बलात्कार और हत्या के मामले में पीड़िता के परिवार का प्रतिनिधित्व कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता बृंदा ग्रोवर ने बुधवार को इस केस से अलग होने का फैसला किया। देर शाम उनके दफ्तर की ओर से एक बयान जारी कर इस निर्णय के कारणों को स्पष्ट किया गया।

बृंदा ने कहा कि विशेष परिस्थितियों और कुछ कारणों के चलते उन्हें यह कदम उठाना पड़ा। उन्होंने बताया कि बीते तीन महीनों से वह लगातार परिवार को कानूनी सहायता प्रदान कर रही थीं और जांच में सीबीआई का सहयोग भी कर रही थीं। इस निर्णय की जानकारी उन्होंने निचली अदालत को दे दी है।

बृंदा ने बताया कि सियालदह अदालत में इस मामले की सुनवाई जारी है, और अब तक 51 गवाहों में से 43 के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सीबीआई अगले सप्ताह तक चार्जशीट दाखिल करेगी और यदि अन्य संदिग्ध हैं तो उन्हें भी हिरासत में लिया जाएगा।

बयान में यह भी बताया गया कि बृंदा ने अब तक बिना किसी शुल्क के पीड़िता के परिवार को कानूनी मदद दी थी। वह खुद मामले की शुरुआत में सियालदह अदालत में उपस्थित हुई थीं, जबकि उनके दफ्तर के वकील नियमित रूप से सुनवाई में हिस्सा लेते रहे।

गौरतलब है कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान पीड़िता के परिवार ने सीबीआई की कार्यप्रणाली पर निराशा जताई थी। पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया कि सीबीआई उनसे संपर्क में होने का दावा कर रही है, लेकिन परिवार को कोई जानकारी नहीं दी जा रही। हालांकि, इन आरोपों के बावजूद बृंदा ने सीबीआई पर कोई टिप्पणी नहीं की।

बृंदा ने अपने निर्णय के बावजूद यह स्पष्ट किया कि वह और उनका दफ्तर भविष्य में भी पीड़िता के परिवार को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए तैयार हैं, लेकिन अब वे इस मामले में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं रहेंगे।

सितंबर में इस केस से जुड़ने से पहले, विकाश भट्टाचार्य पीड़िता के परिवार का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। मामले की अगली सुनवाई 17 मार्च 2025 को तय की गई है, जिसे लेकर पीड़िता के परिवार ने असंतोष व्यक्त किया है।

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