‘GDP की गिरती विकास दर से बढ़ी मंदी की चिंताएं,’ कांग्रेस का आरोप- खपत घटी, निर्यात में गिरावट और रोजगार के अवसर ठप।

GDP में गिरावट से बढ़ी चिंता, कांग्रेस ने उठाए सवाल: खपत घटी, निर्यात गिरा, नौकरियां नदारद

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश की GDP विकास दर में गिरावट, जो पिछले 21 महीनों में सबसे निचले स्तर 5.4% पर पहुंच गई है, कांग्रेस ने इसे भारतीय अर्थव्यवस्था की वास्तविकता उजागर करने वाला करार दिया। पार्टी का कहना है कि विकास दर में गिरावट और वेतन में ठहराव का यह जहरीला मिश्रण न केवल चिंताजनक है, बल्कि इसे नजरअंदाज करना देश की आर्थिक स्थिति के प्रति सरकार की लापरवाही को दर्शाता है।

निवेश की कमी और नौकरियों की समस्या

कांग्रेस की डिजिटल और सोशल मीडिया प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि GDP के इस गिरते स्तर का मतलब है कि देश में न तो पर्याप्त निवेश हो रहा है और न ही रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। खपत में कमी और निर्यात में गिरावट स्पष्ट रूप से दिखा रही है कि देश की अर्थव्यवस्था को सही दिशा में ले जाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

उनका कहना है कि नीति-निर्माताओं के लिए यह स्थिति खतरे की घंटी है, लेकिन सच्चाई को स्वीकारने के बजाय इसे अनदेखा किया जा रहा है।

निर्माण क्षेत्र और निर्यात में गिरावट

सुप्रिया श्रीनेत ने निर्माण क्षेत्र के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में सिर्फ 2.2% की वृद्धि हुई है। यह ‘मेक इन इंडिया’ और पीएलआई योजना जैसे दावों की पोल खोलता है।
इसके साथ ही, दूसरी तिमाही में आयात मात्र 3% बढ़ा, जबकि निर्यात में 2.8% की गिरावट देखी गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार की आर्थिक नीतियां वास्तव में असरदार हैं?

महंगाई और बचत पर प्रभाव

कांग्रेस ने यह भी दावा किया कि मुद्रास्फीति की ऊंची दर मध्यम और गरीब वर्ग के पारिवारिक बजट पर भारी पड़ रही है। इसके चलते बचत में 44% की गिरावट आई है।
जहां 2019-20 में बचत का आंकड़ा 11.61 लाख करोड़ रुपये था, वह अब घटकर मात्र 6.52 लाख करोड़ रुपये रह गया है।

रुपये का गिरता मूल्य और सरकार की उदासीनता

कांग्रेस प्रवक्ता ने रुपये के डॉलर के मुकाबले गिरते मूल्य पर भी चिंता जताई। वर्तमान में एक डॉलर का मूल्य लगभग 85 रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने सवाल किया कि जब आर्थिक हालात इतने खराब हैं, तो सरकार इसे सुधारने के लिए कदम क्यों नहीं उठा रही?

चुनाव खर्च और बेरोजगारी का मुद्दा

सुप्रिया ने लोकसभा चुनाव के दौरान सरकारी खर्च में वृद्धि और उसके बाद की तिमाही में कमी पर सवाल खड़े किए। पहली तिमाही में खर्च 4.15 लाख करोड़ रुपये था, जबकि दूसरी तिमाही में यह घटकर 4.01 लाख करोड़ रुपये रह गया।
उन्होंने बेरोजगारी दर को भी एक बड़ा मुद्दा बताया, खासतौर पर ऐसे समय में जब देश की 65% आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है।

क्या कहती है कांग्रेस?

कांग्रेस का मानना है कि अर्थव्यवस्था को सुधारने की दिशा में गंभीरता की कमी साफ झलक रही है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह ‘खोखले दावों’ के सहारे असली समस्याओं से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।

निष्कर्ष

देश की अर्थव्यवस्था को लेकर कांग्रेस का यह बयान न केवल सवाल खड़े करता है, बल्कि मौजूदा स्थिति पर गहन विचार की जरूरत को भी रेखांकित करता है। क्या सरकार इन चिंताओं को दूर करेगी या यह मुद्दे केवल राजनीतिक बहसों तक सीमित रहेंगे?

Share

Similar Posts