22 की उम्र में बने पार्षद, 27 में संभाली मेयर की कुर्सी; स्कूल छोड़कर इंदिरा गांधी के खिलाफ किया था प्रदर्शन, जानिए देवेंद्र फडणवीस की प्रेरक कहानी।

22 की उम्र में पार्षद, 27 में बने मेयर: जानिए देवेंद्र फडणवीस की दिलचस्प कहानी
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क: महाराष्ट्र की राजनीति के मजबूत स्तंभ और भाजपा के दिग्गज नेता देवेंद्र फडणवीस ने अपनी युवा राजनीति से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक का सफर बड़ी ही दिलचस्पी और चुनौतियों के साथ तय किया है। 22 जुलाई 1970 को नागपुर में जन्मे देवेंद्र गंगाधर राव फडणवीस, न सिर्फ एक अनुभवी नेता हैं बल्कि उनके संघर्ष और उपलब्धियां उन्हें खास बनाती हैं।
छात्र जीवन से राजनीति में कूदे फडणवीस
देवेंद्र फडणवीस का ताल्लुक एक मराठी ब्राह्मण परिवार से है। उनके पिता गंगाधर राव फडणवीस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और जनसंघ से जुड़े हुए थे। गंगाधर राव ने महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। यही राजनीतिक माहौल देवेंद्र के जीवन में राजनीति की नींव बना। लेकिन जब वे सिर्फ 17 साल के थे, उनके पिता का देहांत हो गया।
इसके बावजूद, देवेंद्र ने अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ा। नागपुर से लॉ स्नातक होने के बाद, उन्होंने बिजनेस मैनेजमेंट और जर्मनी से प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में पढ़ाई की। राजनीति में उनका शुरुआती कदम अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के साथ जुड़कर हुआ। बाद में वे भाजपा के वार्ड संयोजक बने और यहीं से उनकी राजनीतिक यात्रा ने रफ्तार पकड़ी।
22 की उम्र में पार्षद और 27 में बने मेयर
देवेंद्र फडणवीस ने कॉलेज के बाद राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई। 1992 में, महज 22 साल की उम्र में, उन्होंने नागपुर नगर पालिका का चुनाव लड़ा और पार्षद बने। इसके बाद, उनका राजनीतिक करियर तेजी से आगे बढ़ा। 1997 में, 27 साल की उम्र में, उन्होंने नागपुर नगर पालिका के मेयर का पद संभाला।
यह उपलब्धि केवल उनके लिए नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए खास थी क्योंकि वे उस समय देश के सबसे युवा मेयरों में से एक थे। इसके बाद, 1999 में, उन्होंने विधानसभा का चुनाव जीता और तब से आज तक उनकी जीत का यह सिलसिला जारी है।
दूसरे सबसे युवा मुख्यमंत्री बने
2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया। देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में पार्टी ने 122 सीटें जीतीं। शिवसेना के साथ गठबंधन में सरकार बनी, और महज 44 साल की उम्र में फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
वे महाराष्ट्र के दूसरे सबसे युवा मुख्यमंत्री बने। उनसे पहले, 1978 में, शरद पवार ने 38 साल की उम्र में मुख्यमंत्री पद संभाला था। हालांकि, 2019 में, उनकी दूसरी पारी केवल 80 घंटों तक चली। अजित पवार के सहयोग से बनी यह सरकार जल्द ही गिर गई। इसके बाद, उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने।
2022 में, शिवसेना में एकनाथ शिंदे की बगावत ने राजनीति को फिर से बदल दिया। भाजपा के समर्थन से एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने, और फडणवीस को डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी दी गई।
जब इंदिरा गांधी के खिलाफ छोड़ा स्कूल
फडणवीस के शुरुआती जीवन से ही उनकी राजनीतिक सक्रियता के उदाहरण देखने को मिलते हैं। उनकी प्रारंभिक पढ़ाई इंदिरा कॉन्वेंट स्कूल में हुई थी। लेकिन, आपातकाल के दौरान, उनके पिता गंगाधर राव को गिरफ्तार कर लिया गया। देवेंद्र ने इसका विरोध करने के लिए इंदिरा गांधी के नाम वाले इस स्कूल से अपना नाम कटवा लिया।
मॉडलिंग का सफर
राजनीति के अलावा, फडणवीस का मॉडलिंग से भी एक दिलचस्प जुड़ाव रहा है। 2006 में, नागपुर के चौराहों पर उनकी मॉडलिंग की तस्वीरें चर्चा का विषय बनीं। फोटोग्राफर विवेक रानाडे ने उन्हें मॉडलिंग के लिए प्रेरित किया था। यहां तक कि, अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें “मॉडल विधायक” कहकर संबोधित किया।
पारिवारिक जीवन
2005 में, देवेंद्र फडणवीस की मुलाकात अमृता फडणवीस से हुई। अमृता को खाली समय में देवेंद्र से गाने सुनना पसंद है। दोनों की एक बेटी है। उनका निवास नागपुर के रावसाहेब फडणवीस पार्क एरिया में है। ज्योतिष के अनुसार, देवेंद्र की राशि मीन है, और उनके स्वामी ग्रह बृहस्पति हैं।
सारांश
देवेंद्र फडणवीस की कहानी मेहनत, संघर्ष और समर्पण का प्रतीक है। छात्र जीवन से राजनीति में कदम रखने वाले फडणवीस ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। उनकी यात्रा यह साबित करती है कि सही दिशा और जुनून के साथ किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।