महाराष्ट्र चुनाव: 11 दिन पहले घोषित हुए नतीजे, फिर भी बैलेट पेपर से वोट डालने पर क्यों अड़े हैं लोग?

सोलापुर में बैलेट पेपर से मतदान पर अड़ गए लोग, 11 दिन बाद फिर से क्यों किया गया चुनावी विवाद?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Election) के नतीजे 23 नवंबर को घोषित हो चुके थे, लेकिन सोलापुर के मार्कडवाडी गांव में 3 दिसंबर को फिर से बैलेट पेपर से मतदान कराने की योजना बनी। यह मतदान अनौपचारिक था, और चुनाव आयोग (ECI) की इसमें कोई भूमिका नहीं थी। मतदान से पहले, पुलिस ने दखल दिया, जिससे गांव के लोगों ने अपनी योजना को रद्द कर दिया।

क्या था मामला?

सोलापुर के मालशिरस विधानसभा क्षेत्र में स्थित मार्कडवाडी गांव के लोग ईवीएम (EVM) के परिणामों को चुनौती दे रहे थे। 20 नवंबर को हुए चुनाव में एनसीपी (शरद पवार) के उत्तमराव जानकर ने भा.ज.पा. के राम सतपुते को हराया था, लेकिन मार्कडवाडी में भा.ज.पा. के उम्मीदवार को वोटों की बढ़त मिली थी। यही कारण था कि गांव के लोग चुनाव आयोग द्वारा घोषित नतीजों पर असंतुष्ट थे और उन्होंने पुनर्मतदान का फैसला किया।

गांव के एक व्यक्ति रंजीत मार्कड ने बताया कि गांव में कुल 2000 से ज्यादा मतदाता थे, जिनमें से 1900 ने वोट दिया था। उनका कहना था कि उत्तमराव जानकर को 843 वोट मिले थे, जबकि राम सतपुते को 1003 वोट मिले थे। गांव के लोगों को चुनाव आयोग के आंकड़े पर विश्वास नहीं था, इसीलिए उन्होंने बैलेट पेपर से मतदान कराने का फैसला लिया।

क्या था प्रशासन का कदम?

सोलापुर के प्रशासन ने इस अनौपचारिक मतदान को रोकने के लिए 2 दिसंबर को गांव के कुछ लोगों को नोटिस भेजा। पुलिस ने गांव में सुरक्षा बढ़ा दी थी और यह सुनिश्चित किया था कि इस चुनावी प्रक्रिया से कानूनी समस्या न उत्पन्न हो। सोलापुर एसपी अतुल कुलकर्णी ने बताया कि प्रशासन ने गांववालों से बातचीत की और उन्हें चेतावनी दी कि अगर वे अपनी योजना पर आगे बढ़ते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ग्रामीणों का समर्थन और क्राउडफंडिंग

ग्रामीणों ने इस अनौपचारिक मतदान के लिए क्राउडफंडिंग का सहारा लिया। उन्होंने मतदान के लिए वोटिंग पेपर छापने के लिए पैसे जुटाए थे, जिसमें सभी उम्मीदवारों के नाम और फोटो थे। इसके बाद, गांव के लोगों ने वोटिंग प्रक्रिया को अपने तरीके से आयोजित करने का फैसला लिया। अमित वाघमोर, एक अन्य गांववाले ने कहा, ‘हमने पूरी प्रक्रिया का पालन करने का इरादा किया है, और सभी ग्रामीणों से इस अनौपचारिक मतदान में हिस्सा लेने की अपील की है।’

क्या हुआ अंत में?

पुलिस और प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद, गांव वालों ने मतदान की अपनी योजना को रद्द कर दिया, लेकिन यह घटना यह स्पष्ट करती है कि सोलापुर के मार्कडवाडी के लोग चुनाव आयोग के आंकड़ों को लेकर गहरे विवाद में हैं और इसके खिलाफ एक अनौपचारिक पुनर्मतदान कराने की योजना बना रहे थे।

इस घटनाक्रम ने सोलापुर में चुनाव प्रक्रिया की सही और सटीक कार्यप्रणाली पर प्रशासनिक चुनौती भी खड़ी कर दी है। भविष्य में ऐसी समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रशासन को और भी सावधानी बरतनी होगी।

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