पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्रों में फर्जी दस्तावेज़ों के मामले में जांच शुरू, सीमा सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर
कोलकाता, 18 दिसंबर (हि.स.) पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिलों में स्थित पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्रों (पीओपीएसके) के कुछ कर्मचारियों पर सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों की कड़ी नजर है। इन कर्मचारियों पर आरोप है कि वे बांग्लादेशी घुसपैठियों को फर्जी भारतीय दस्तावेज, जिनमें पासपोर्ट भी शामिल हैं, मुहैया करवा रहे हैं।
अधिकारियों के अनुसार, राज्य पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। जांच में पता चला है कि कुछ अनुबंधित कर्मचारी और डाक विभाग के स्थायी कर्मचारी मोटे कमीशन के बदले इन गिरोहों की मदद कर रहे हैं।
पिछले 72 घंटों में फर्जी पासपोर्ट रैकेट से जुड़े चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से दो आरोपी भारतीय डाक विभाग के अनुबंधित कर्मचारी हैं, जबकि दो पीओपीएसके केंद्रों से जुड़े हुए थे। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में तारकनाथ सेन और दीपक मंडल शामिल हैं। तारकनाथ सेन को कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने और दीपक मंडल को पश्चिम बंगाल पुलिस के तटीय विभाग ने पकड़ा।
जांच में कई गिरोहों के काम करने के तरीके में समानताएं पाई गई हैं। इन गिरोहों का मुख्य उद्देश्य बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए फर्जी भारतीय पहचान पत्र तैयार करना है।
ये गिरोह मुख्य रूप से सीमा के पास स्थित गांवों से संचालित हो रहे हैं, जो भारत-बांग्लादेश सीमा के नजदीक हैं। हाल ही में, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के पूर्व सहयोगी सलीम मटबार को कोलकाता के पार्क स्ट्रीट इलाके के एक होटल से गिरफ्तार किया गया। उसके पास से एक फर्जी भारतीय पासपोर्ट बरामद हुआ था। जांच में यह सामने आया कि उसने अवैध तरीके से सीमा पार की थी और सीमा से लगे नदिया जिले के एक रैकेट से फर्जी दस्तावेज बनवाए थे।
पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और ऐसे रैकेट्स से जुड़े अन्य लोगों को पकड़ने का प्रयास जारी है।