“नोएडा में किसानों का आंदोलन उग्र, समाधान के लिए योगी सरकार ने लिया अहम कदम”

नोएडा में किसानों का आंदोलन अब और तेज हो गया है, और इसके समाधान के लिए योगी सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। किसानों ने आज नोएडा के महामाया फ्लाईओवर पर धरने पर बैठने का ऐलान किया है, जहां हजारों की संख्या में किसान जुटने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके साथ ही, किसानों की गिरफ्तारी के विरोध में आज महापंचायत भी आयोजित होगी। महापंचायत में किसानों का जमावड़ा होगा और इस आंदोलन का जोश और बढ़ेगा, क्योंकि दिल्ली कूच करने की उनकी योजना अडिग है। दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर पुलिस किसानों को रोकने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है, लेकिन किसान रुकने के मूड में नहीं हैं।

इस बीच, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस आंदोलन के समाधान के लिए एक बड़ी पहल की है। सरकार ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में चल रहे किसान आंदोलन का समाधान निकालने के लिए एक 5 सदस्यीय समिति का गठन किया है। यह समिति अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव आईएएस अनिल कुमार सागर की अध्यक्षता में बनाई गई है। इस समिति में पीयूष वर्मा, संजय खत्री, सौम्य श्रीवास्तव, और कपिल सिंह भी शामिल हैं। समिति को सरकार को एक महीने में रिपोर्ट और सिफारिशें सौंपने का कार्य सौंपा गया है।

इधर, किसानों ने महामाया फ्लाईओवर पर धरना देने का ऐलान किया है। दोपहर 12 बजे से वहां किसानों का भारी जमावड़ा होने की संभावना है। भारतीय किसान मोर्चा के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांगें पूरी तरह से जायज हैं और उनका संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने भी किसानों के पक्ष में अपनी आवाज उठाई है और सरकार से उनकी मांगों को मानने की अपील की है। वहीं, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किसानों की समस्याओं का जिम्मेदार कांग्रेस को ठहराया है।

किसानों के मुद्दे पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी गहरी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सवाल किया कि किसानों से किए गए वादों को किस हद तक निभाया गया है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा बेहद गंभीर है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। उपराष्ट्रपति ने कहा, “किसान अकेला है, जो असहाय है। हमें यह समझने की जरूरत है कि वादा किया गया था, तो वह क्यों नहीं निभाया गया, और हम इसके लिए क्या कर रहे हैं। पिछले साल भी आंदोलन था और इस साल भी, फिर भी कुछ ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।”

किसानों का आंदोलन अब एक गंभीर मोड़ पर है और सरकार के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय है, क्योंकि समाधान की दिशा में कदम उठाए गए हैं, लेकिन अभी भी किसानों की मांगों को लेकर हल नहीं निकला है।

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