दीघा ‘जगन्नाथ धाम’ पर विवाद: शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर किया तीखा वार

कोलकाता, 12 दिसंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार के दीघा में ‘जगन्नाथ धाम’ परियोजना को लेकर विवाद तेज हो गया है। गुरुवार को इस मुद्दे पर विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला करते हुए इसे संविधान का उल्लंघन बताया।

शुभेंदु अधिकारी का आरोप

शुभेंदु अधिकारी ने कहा, “सरकार या उसके अधीनस्थ किसी भी संस्थान को करदाताओं के पैसे से धार्मिक स्थल बनाने का अधिकार नहीं है। दीघा में जो निर्माण हो रहा है, वह मंदिर नहीं बल्कि ‘जगन्नाथ धाम सांस्कृतिक केंद्र’ है।” उन्होंने दावा किया कि परियोजना से जुड़े दस्तावेज़ स्पष्ट करते हैं कि यह सांस्कृतिक केंद्र के रूप में प्रस्तावित था, न कि मंदिर निर्माण के लिए।

मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, “यदि ममता बनर्जी सोचती हैं कि वह पुरी के जगन्नाथ धाम की महिमा को कम कर सकती हैं या उसका विकल्प बना सकती हैं, तो यह उनकी भूल है। मेरी भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना है कि वे उन्हें सद्बुद्धि दें।”

शुभेंदु ने पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर की अनोखी विरासत और उससे जुड़े चमत्कारों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह मंदिर भारत के सनातन धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है और उसकी बराबरी करना असंभव है।

उन्होंने अयोध्या के राम मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा कि उसका निर्माण सरकारी धन से नहीं बल्कि ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ के माध्यम से हिंदुओं से प्राप्त दान से किया गया है। उन्होंने इसे धर्म और संविधान के प्रति सम्मान का प्रतीक बताया।

इस्कॉन का समर्थन

इस विवाद पर इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि परियोजना का उद्देश्य सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को बढ़ावा देना है।

परियोजना पर नजरें

इस बढ़ते विवाद के बीच, दीघा ‘जगन्नाथ धाम’ परियोजना ने न केवल राजनीतिक गलियारों में बल्कि आम जनता के बीच भी चर्चा को जन्म दे दिया है। अब यह देखना होगा कि सरकार और विपक्ष इस मुद्दे पर कैसे आमने-सामने आते हैं।

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