कोलकाता में जन्मे बांग्लादेश के पूर्व अटॉर्नी जनरल आरिफ को ढाका में अंतिम विदाई दी गई।

ढाका, 23 दिसंबर (हि.स.)। बांग्लादेश के पूर्व अटॉर्नी जनरल और अंतरिम सरकार में नागरिक उड्डयन व पर्यटन सलाहकार ए.एफ. हसन आरिफ को आज सुबह 10:30 बजे मीरपुर शहीद बुद्धिजीवी कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। उनके निधन पर बांग्लादेश में आज एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है।

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, अंतिम संस्कार में उनके बेटे मुआज आरिफ, परिवार के अन्य सदस्य और कई प्रमुख हस्तियां मौजूद रहीं। हसन आरिफ का 20 दिसंबर को ढाका के लैबैड अस्पताल में 83 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था।

1941 में कोलकाता में जन्मे हसन आरिफ ने अपनी शुरुआती शिक्षा कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज में पूरी की। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक और कानून की डिग्री हासिल की। 1967 में कोलकाता हाई कोर्ट में वकील के रूप में नामांकन कराने के बाद, वे पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) चले गए और 1970 में ढाका हाई कोर्ट में अपनी प्रैक्टिस शुरू की।

हसन आरिफ ने सैन्य तानाशाह एच.एम. इरशाद के शासनकाल (अप्रैल 1982 से अगस्त 1985) में सहायक अटॉर्नी जनरल के रूप में और बाद में अगस्त 1985 से मार्च 1996 तक डिप्टी अटॉर्नी जनरल के रूप में अपनी सेवाएं दीं। वे बीएनपी-जमात-ए-इस्लामी गठबंधन सरकार के दौरान अटॉर्नी जनरल बने। जनवरी 2008 से जनवरी 2009 तक उन्होंने फखरुद्दीन अहमद की अंतरिम सरकार में कानूनी सलाहकार की भूमिका निभाई।

अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई अहम मामलों में प्रतिनिधित्व किया, जिनमें नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के केस भी शामिल थे। हसन आरिफ का जीवन कानून और न्याय के क्षेत्र में उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

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