ओडिशा में मंच पर सुअर खाने की घटना पर एक्शन, अभिनेता और जात्रा प्रबंधक गिरफ्तार

ओडिशा में जात्रा के दौरान क्रूरता पर बवाल, जिंदा सुअर खाने वाले कलाकारों को गिरफ्तार किया गया
ओडिशा में जात्रा के नाम पर हो रही क्रूरता का मामला अब गंभीर मोड़ पर पहुंच चुका है। पहले जहां जात्रा में अंग प्रदर्शन और अश्लीलता की घटनाएं सुर्खियों में थीं, वहीं अब जिंदा सुअर और मुर्गियां खाने जैसे घिनौने कृत्य भी सामने आ गए हैं। गंजाम जिले के हिंजिलिकाटु ब्लॉक के रालब गांव में 26 दिसंबर को रामायण नाटक के दौरान यह कृत्य हुआ, जिसके बाद पुलिस और वन विभाग ने सक्रियता दिखाई और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की।
वायरल वीडियो ने बढ़ाया आक्रोश
सोमवार को जात्रा के दौरान जिंदा सुअर को काटकर खाने और जहरीले सांपों के साथ खिलवाड़ करने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिससे पूरे राज्य में गहरी नाराजगी फैल गई। पर्यावरणविदों और बुद्धिजीवियों ने इस कृत्य की कड़ी निंदा की और राज्य सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग की।
गिरफ्तारी के बाद बढ़ी कार्रवाई
वीडियो के वायरल होने के बाद गंजाम पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए कार्रवाई की और जात्रा प्रबंधक नारायण स्वांई (37) को गिरफ्तार किया। उनके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण कानून के तहत मामला दर्ज किया गया। इसके साथ ही विंबाधर गौड़, जो कि नाटक में राक्षस का किरदार निभा रहे थे, उन्हें भी गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान किया गया।
सांसदों और विधायकों की बढ़ी चिंता
राज्य विधानसभा में भी इस मुद्दे पर हंगामा मच गया। भाजपा विधायक सनातन बिजली और बाबू सिंह ने जात्रा में हो रही अश्लीलता और क्रूरता पर अपनी गहरी चिंता जाहिर की। उन्होंने कड़ी कार्रवाई की मांग की और कहा कि जात्रा में सेंसर सिस्टम जैसे फिल्मों में होता है, वैसा लागू किया जाना चाहिए, ताकि ओडिशा की संस्कृति को नुकसान न पहुंचे।
जात्रा में अश्लीलता और क्रूरता
जात्रा, ओडिशा का पारंपरिक थिएटर है, जो शरद ऋतु से शुरू होकर जून तक चलता है। इसमें नाटक, संगीत और नृत्य का मिश्रण होता है। लेकिन हाल के वर्षों में, इस मंच पर अश्लीलता और क्रूरता का प्रदर्शन बढ़ता जा रहा है। पुलिस ने यह साफ किया कि इस अश्लीलता और अत्याचार के लिए जात्रा मालिक और समिति जिम्मेदार हैं।
संस्कारों की रक्षा का आह्वान
जात्रा के मालिकों और कलाकारों के खिलाफ आलोचनाओं का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। जात्रा समिति महासंघ ने पिछले महीने कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन से मिलकर इस पर कड़ी कार्रवाई की मांग की थी और यह भी कहा था कि जात्रा के लिए विशेष दिशा-निर्देश होने चाहिए ताकि यह सांस्कृतिक विरासत सुरक्षित रहे।
अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार और सांस्कृतिक विभाग इस बढ़ती हुई क्रूरता पर कितनी सख्त कार्रवाई करते हैं, ताकि ओडिशा की संस्कृति और लोगों के भावनाओं का सही सम्मान किया जा सके।