“एस जयशंकर ने बताया, LAC पर चीन को क्यों पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा”
एस जयशंकर ने लोकसभा में बताया, LAC पर चीन को क्यों खींचने पड़े अपने कदम
भारत-चीन सीमा पर हालात को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में गंभीर चर्चा की। बुधवार को अपने संबोधन में उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर मौजूदा स्थिति का विवरण दिया और बताया कि अब हालात पहले से कहीं बेहतर हो गए हैं। उन्होंने भारत और चीन के बीच तनाव के बारे में बात करते हुए यह भी कहा कि सेना का योगदान सीमा पर शांति स्थापित करने में अतुलनीय रहा है। इसके साथ ही, चीन के साथ हमारी बातचीत लगातार जारी है, जो दोनों देशों के रिश्तों को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
2020 में चीन की गतिविधियों ने सीमा पर शांति को बाधित किया था, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा। लेकिन अब कूटनीतिक प्रयासों से एलएसी पर स्थिति में सुधार हुआ है। जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और चीन के बीच संबंध 2020 से असामान्य थे, जब चीन ने अपनी आक्रामक गतिविधियों के जरिए सीमा क्षेत्र में स्थिरता को प्रभावित किया। हालांकि, हाल के घटनाक्रमों ने दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की दिशा में काफी सकारात्मक बदलाव किए हैं।
लद्दाख में 2020 में चीन के सैनिकों की तैनाती के बाद स्थिति और अधिक जटिल हो गई थी। चीन के सैनिकों ने अप्रैल-मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में बड़ी संख्या में अपनी सेनाएं जमा कीं, जिसके परिणामस्वरूप कई स्थानों पर टकराव की स्थिति उत्पन्न हुई। लेकिन भारत के सशस्त्र बलों की तत्परता और कुशलता ने स्थिति को संभाला और उन्हें तुरंत तैनाती करने में सफलता प्राप्त हुई।
एस जयशंकर ने आगे बताया कि इस जवाबी तैनाती ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता को जन्म दिया, जैसे कि घर्षण बिंदुओं से सैनिकों की वापसी और तनाव कम करने के लिए रणनीति पर काम। उन्होंने स्पष्ट किया कि सीमा क्षेत्र की स्थिति पर ध्यान देना अब और भी जरूरी हो गया है, क्योंकि किसी भी पक्ष को यथास्थिति को बदलने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
एस जयशंकर ने लोकसभा में यह भी कहा कि कूटनीतिक स्तर पर चर्चा और समझौतों का पालन भारत के लिए सर्वोपरि है, और हमेशा यह सुनिश्चित करना होगा कि दोनों देशों के बीच सीमा पर स्थिरता बनी रहे।
उन्होंने तीन महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर जोर दिया:
- दोनों देशों को एलएसी का सख्ती से पालन करना चाहिए।
- किसी भी पक्ष को स्थिति में बदलाव करने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
- पिछले समझौतों का पूरी तरह पालन किया जाना चाहिए।
एस जयशंकर ने यह भी कहा कि सीमा पर निरंतर तनाव और घटनाओं के कारण भारत-चीन संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, लेकिन नए संदर्भ में दोनों देशों के रिश्तों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए सरकार ने कड़ी नीति अपनाई।
कुल मिलाकर, सीमा पर शांति और स्थिरता लाने के लिए भारत की कूटनीति ने चीन को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया है, और इस प्रक्रिया में हमारे रिश्ते अब एक नए दौर में प्रवेश कर चुके हैं।