इसरो ने गगनयान मिशन के लिए नौसेना के साथ मिलकर ‘वेल डेक’ रिकवरी ऑपरेशन किया।

नई दिल्ली, 10 दिसंबर (हिं.स.)। गगनयान मिशन की तैयारी के तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भारतीय नौसेना के साथ मिलकर ‘वेल डेक’ रिकवरी ऑपरेशन के ट्रायल किए हैं। यह परीक्षण विशाखापत्तनम के तट पर पूर्वी नौसेना कमान द्वारा चलाए गए, जहां वेल डेक शिप का इस्तेमाल किया गया। इन ट्रायल्स का उद्देश्य गगनयान मिशन के लिए रिकवरी प्रक्रियाओं की तैयारी करना था, जो मिशन के सुरक्षा प्रोटोकॉल का एक अहम हिस्सा हैं। इस ट्रायल के बाद और रिकवरी अभ्यास किए जाएंगे।
भारत का लक्ष्य 2025 तक 400 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष यात्री भेजने का है। इसरो ने गगनयान मिशन के क्रू रिकवरी टीम के पहले बैच को कोच्चि में नौसेना की जल जीवन रक्षा प्रशिक्षण सुविधा (WSTF) में प्रशिक्षित किया है, जहां नौसेना के गोताखोर और समुद्री कमांडो की टीम ने उन्हें विभिन्न समुद्री परिस्थितियों में अभ्यास कराया। इसरो के अनुसार, गगनयान मिशन में तीन सदस्यीय दल को 400 किमी की कक्षा में भेजा जाएगा, जहां वे भारतीय समुद्र में लैंड करेंगे और फिर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लौटाए जाएंगे, इस प्रक्रिया में मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन किया जाएगा।
इसरो ने मंगलवार को जानकारी दी कि भारतीय नौसेना के साथ मिलकर 6 दिसंबर को गगनयान के लिए ‘वेल डेक’ रिकवरी ट्रायल किए गए, जो भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए एक अहम कदम है। वेल डेक शिप का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि यह पानी भरने की सुविधा देता है, जिससे अंतरिक्ष यान को सुरक्षित रूप से डॉक और रिकवर किया जा सकता है। इन ट्रायल्स में रिकवरी बॉय को जोड़ने, क्रू मॉड्यूल को खींचने, वेल डेक में लाने और पानी निकालने के परीक्षण किए गए।
इसरो ने बताया कि इन ट्रायल्स का मुख्य उद्देश्य रिकवरी समय को कम करना और क्रू मॉड्यूल के समुद्र में उतरने के बाद दल को कम से कम परेशानी में रखना था। इस अभ्यास से इसरो और भारतीय नौसेना दोनों की टीमों ने अपने संचालन प्रक्रियाओं को बेहतर किया, ताकि वे सामान्य और अप्रत्याशित स्थितियों के लिए तैयार हो सकें। गगनयान मिशन के लिए और अधिक रिकवरी ट्रायल्स जारी रहेंगे, जिनमें मई 2023 में कोच्चि के वाटर सर्वाइवल ट्रेनिंग फैसिलिटी (INS गरुड़) में जारी गगनयान रिकवरी ट्रेनिंग प्लान भी शामिल था।
इस ऑपरेशन में भारतीय नौसेना के गोताखोरों, समुद्री कमांडो (मार्कोस), चिकित्सा विशेषज्ञों, तकनीशियनों और नौसेना एविएटर्स की टीम ने इस प्रक्रिया को अंजाम दिया। मिशन के अंत में, जब क्रू मॉड्यूल समुद्र में उतरता है, तो चालक दल को जल्दी और आराम से रिकवर करना जरूरी होता है। इस दौरान वेल डेक में पानी भरकर क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से जहाज में लाया जाता है, जहां चालक दल आसानी से बाहर आ सकता है। इस परीक्षण के दौरान, मॉक-अप क्रू मॉड्यूल का इस्तेमाल किया गया था ताकि इन प्रक्रियाओं का सही तरीके से अभ्यास किया जा सके।